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Jewar Airport: जेवर हवाई अड्डे के भूमि अधिग्रहण का काला सच

Jewar airport: हवाई अड्डे के विस्तार पर गाँव रनहेरा के किसानों का विरोध

By Saksham Agrawal
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उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में जेवर हवाई अड्डे | Jewar Airport | के तीसरे चरण के विस्तार की घोषणा की है। उसी तीसरे चरण के अंतर्गत अतिरिक्त 2,053 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण के लिए सरकार सामाजिक प्रभाव की जाँच कराएगी। जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो कि उत्तर प्रदेश के गौतम बौद्ध नगर में स्थित है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा परियोजनाओं में से एक है।

जेवर हवाईअड्डा | Jewar Airport | दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का वैकल्पिक उपाय बनेगा। हालांकि, जेवर के विकसन में आने वाले विवाद को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय किसानों की आलोचनाओं का सामना किया जा रहा है।

प्रीतम सिंह, जो कि गाँव रनहेरा के निवासी हैं, उन्होंने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, "मेरे पिता को 1997 में 4.45 बीघा ज़मीन मिली थी, जो कि हवाई अड्डे के पहले चरण में सरकार द्वारा अधिग्रहीत की गई थी। दूसरे चरण में हमारा गांव रनहेरा भी प्रभावित हुआ है। हमें मेरे पिता की ज़मीन का मुआवजा आज तक नहीं मिला है। हमने अपनी ज़मीनें सरकार को दी लेकिन हमें पैसे नहीं दिये गए।"

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प्रीतम जी आगे कहते हैं, "हमें नोटिस भी दिया गया और फिर जमीन के मालिकों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया। हमने हाई कोर्ट में जाकर स्टे प्राप्त किया। स्टे प्राप्त होते ही हमने काम रोक दिया, लेकिन सरकार ने हमारे खिलाफ पीएसी तैनात कर दी और उन्होंने जबरन हमसे जमीन छीनने की कोशिश की।"

इस परिस्थिति में, जेवर हवाई अड्डे का विस्तार और किसानों के अधिकार दोनों ही मुद्दों पर समझौता होना चाहिए, जिससे कि विकसन और आम आदमी के हित में संतुलन स्थापित हो सके।

Jewar Airport: भूमि अधिग्रहण विवाद: रनहेरा गांव के निवासी बृजपाल से खास बातचीत

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रनहेरा गांव के निवासी बृजपाल का आरोप है कि सरकार ने हवाई अड्डे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के अवैध तरीकों का इस्तेमाल किया है।

बृजपाल ने कहा, "मैं हवाई अड्डे के दूसरे चरण के लिए अपनी जमीन खो रहा हूं। पिछले दस साल से सरकार ने जमीन का सर्किल रेट नहीं बढ़ाया। क्या इससे किसानों को कोई लाभ हुआ है?"

वह आगे बताते हैं, "2013 में जब कानून बना, तो सरकार को पहले ही पता था कि मुआवजे के मामले में स्पष्टता नहीं है। फिर भी, उन्होंने दस साल तक सर्किल रेट में वृद्धि नहीं की।"

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बृजपाल ने सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने गांव को औद्योगिक क्षेत्र में शामिल किया ताकि किसानों को कम मुआवजा दिया जा सके।

रनहेरा गांव में अन्य लोगों की भी बृजपाल की तरह समस्याएँ हैं। वे ग्रामीण विकास के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन उन्हें आशंका है कि सरकार ने अपने वादों को तोड़ दिया है।

बृजपाल ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, "अगर आपके पास घर है और किसी ने आपसे कहा कि वह उसके लिए केवल आधी कीमत देगा, तो आप कैसा महसूस करेंगे? हमारा पूरा गांव खत्म हो रहा है। हमें न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक धरोहर की चिंता है, बल्कि भूमि के अधिग्रहण के अवैध तरीकों से भी परेशानी है।"

Jewar Airport: रनहेरा गांव के किसान: भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में अन्याय और सरकारी वादों की उलझन

सरकार दावा कर रही है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अधिनियम, 2013 के अनुसार हो रही है, जिसमें उचित मुआवजे और पारदर्शिता का ध्यान रखा जा रहा है। परंतु, ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने अपने दिए गए आश्वासन को तोड़ दिया है।

कृष्ण कुमार शर्मा, ग्राम रनहेरा के निवासी कहते हैं, "गांव को छीनने के लिए उन्होंने गांव को शहर बना दिया। हमारी अपनी मांगें थीं। विधायक ने हममें से कुछ लोगों को मुख्यमंत्री से मिलवाया, जहाँ 5600 रुपये प्रति वर्ग मीटर का मुआवजा तय हुआ, लेकिन बाद में इस रकम को 3100 में कम कर दिया। इसके बावजूद किसान अपनी जमीनें देने को तैयार थे, लेकिन सरकार ने पूरी राशि नहीं दी।"

रनहेरा के लोगों ने सरकार की इस नीति का विरोध किया और मांग की अगर उन्हें उनकी जमीन से विस्थापित किया जाएगा तो सरकार को उनसे बातचीत करनी चाहिए।

पवन खटाना, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता कहते हैं, "किसानों ने कभी अपने गांव के विकास के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने देश के विकास के बारे में सोचा। उन्होंने विस्थापित होने का फैसला किया, लेकिन आज भी कुछ लोग और कुछ सरकारी अधिकारी ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं।"

इस घटना पर गाँव वालों ने मतदान का बहिष्कार करने की भी धमकी दी है।

Jewar Airport: एयरपोर्ट प्रोजेक्ट: ग्रामीणों की उचित पुनर्वास और मुआवजा की मांग

नई एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने अभी तक तीन चरणों में कुल 4752 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया है। पहले चरण में 1365 हेक्टेयर, दूसरे चरण में 1334 हेक्टेयर और तीसरे चरण में 2053 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है।

इस पर प्रभावित ग्रामीणों का कहना है, "हम उचित पुनर्वास और पर्याप्त मुआवजा प्राप्त नहीं करने तक अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।"

ग्राम रनहेरा के निवासी प्रीतम सिंह के अनुसार, "मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि shore श्रेणी के लोगों को मुआवजा दिया जायेगा। लेकिन, घोषणा हुए एक वर्ष हो चुका है और अब तक कोई अधिकारी हमारी ओर से संपर्क नहीं किया।" प्रीतम जी ने आगे कहा, "अधिकारी हमसे कहते हैं कि जब तक चारदीवारी का काम पूरा नहीं हो जाता, हमें इंतजार करना होगा। हम ने उन्हें साफ तौर पर बता दिया है कि इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय का स्थगन है और किसी भी पक्ष को इसके खिलाफ जाने की अनुमति नहीं है।"

Jewar Airport: गौतमबुद्ध नगर के एडीएम से विशेष संवाद

गौतमबुद्ध नगर के एडीएम (भूमि एवं अधिग्रहण), बलराम सिंह से हाल ही में जेवर हवाईअड्डे के भूमि अधिग्रहण के संबंध में बातचीत हुई। उन्होंने कहा, "सब कुछ ठीक है। वहां कोई समस्या नहीं है। किसान अपनी जमीन दे रहे हैं और बदले में मुआवजा ले रहे हैं। लोकतंत्र में आप कभी भी हर व्यक्ति से किसी बात पर सहमत होने की उम्मीद नहीं कर सकते। कुछ सहमत हो सकते हैं, कुछ असहमत हो सकते हैं। लेकिन क्या इन असहमतियों के कारण सिस्टम काम करना बंद कर देता है? किसानों को उचित मुआवजा मिल रहा है।"

रनहेरा के प्रभावित ग्रामीण उन वादों के सामना कर रहे हैं जो उन्हें अभी तक पूरे नहीं होए हैं। वे महसूस कर रहे हैं कि लोगों की भलाई और सम्मान की कीमत पर प्रगति नहीं होनी चाहिए। उनका मानना है कि विकास के नाम पर हाशिए पर रहने वाले समुदायों को और भी हाशिए पर धकेल दिया जा रहा है और बड़े परियोजनाओं की खोज में उनकी समस्याओं और चिंताओं को अनदेखा किया जा रहा है।

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